Book Title: Nirtivad
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satya Sandesh Karyalay

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Page 58
________________ ५४ ] वोटरो की सख्या बहुत अधिक हो वहा दसवे भाग के बदले पचास या सौ आदमियो के हस्ताक्षर पर कोई आदमी - चुनाव के लिये खडा किया जाय । ३ - पोलिंग स्टेशन का' सारा' प्रबंध' सरकार करे । वोटरो को मिठाई खिलाना ' शरबत पिलाना निरतिवाद आदि लॉच के काम बन्द रहे । ४- जो आदमी चुनाव के लिये खडा किया जाय वह आदमी पहिले घोषित कर दे कि मै अमुक सेवा कार्य के लिये इतना समय दूगा । तीन चतुर्थाश बैठकों मे उसे उपस्थित रहना अनिवार्य समझा जाय । ५ - डिपाझिट लेना बंद रहे । हरएक आदमी खडा न हो जाय इसके लिये नवर ढो की सूचना काफी है । ६ - वोटरो को ले जाने के लिये सवारी आदि का प्रबन्ध करना घृणित समझा जाय । जनता को समझ लेना चाहिये कि जो आदमी सवारी आदि का प्रबन्ध जितना अधिक करे वह उतना ही अयोग्य और स्वार्थी है । चुनाव के समय की चापलूसी मे आकर किसी को वोट न देना चाहिये । ७--वोट मॉगने के लिये अगर कोई उम्मेदवार वोटर के घर जाता है या अपना दूत भेजता है तो यह उसकी तुच्छता अयोग्यता और स्वार्थीसमझा जाय । अधिक से अधिक इतना ही होना चाहिये कि वोटर के पास अपना लिखित या छपा हुआ सन्देश भेजदे । पन ८ - उम्मेदवार का सन्देश सुनाने के लिये सभाऍ हो सकती है और उम्मेदवार से क्रम से शान्तिपूर्वक प्रश्न पूछे जा सकते है । पर गाली गलौज या मारपीट कदापि न होना चाहिये । अगर उम्मेदवार प्रश्नो का उत्तर न देना चाहे तो प्रश्न पूछना बंद कर देना चाहिये । इसीसे उम्मेदवार की कमजोरी मालूम हो जायगी । होहल्ला 1 मचाने की कोई आवश्यकता नहीं है । 1 है तब परीक्षा ९--प्रभात फेरी आदि ऐसे कार्य बद रखना चाहिये जो चुनाव के क्षेत्र मे युद्ध का वातावरण पैदा करते है और कहीं कहीं फौजदारियाँ भी हो जाती है । इसी प्रकार चुनाव के बाद विजयोत्सव के समान प्रदर्शन भी न करना चाहिये । जो आदमी चुनाव मे आ जांत हैं उनके सन्मान पार्टियाँ देना उन्हे मानपत्र देना आदि भी अनुचित हैं । अभी तो वह सेवा के लिये चुना गया है । सेवा कैसी करता है यह देखकर उसे पीछे बधाई देना चाहिये जब उसका सेवाकाल पूरा हो जाय । सेवा करने मे अगर वह तीन वर्ष या पॉच वर्ष उत्तीर्ण हो तो उसे बधाई देना चाहिये नही तो नहीं । विद्यार्थी जब परीक्षा बैठता का उत्सव नहीं मनाया जाता है पास होने का मनाया 'जाता है | सेवाके लिये चुना जाना तो परीक्षा मे बैठना है । पास फेल तो तब मालूम होगा जब वह कुछ कर दिखायगा । तभी बचाई देने न देने का विचार करना चाहिये। अभी जो बधाई दी जाती है उसका अर्थ यह होता है कि दो उम्मेदवारो का युद्ध ही कर्तव्य है और इसी जीत मे कर्त्तव्य की इतिश्री है । यह तुच्छता तो है ही, साथ ही स्थायी वैर को निमत्रण देना है । यह तुच्छता मन मे आ सकती है पर वह मन मे ही रहे । यदि उसका प्रदर्शन किया जाय और उसमे किसी तरह की शर्म न मानी जाय तो तुच्छता और स्वार्थ पर नैतिकता की छाप लगाना है | S ★ मे बैठने

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