Book Title: Nirtivad
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satya Sandesh Karyalay

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Page 47
________________ संदेश नववॉ दोनो का हुआ और हैं । रजिष्ट्री सौप देने से भी एक तरह से काम तो जाता है परन्तु कभी कभी बड़े झगडे जाते है । एक दल कहता है कि इन विवाह हो गया, एक कहता है नहीं दोनों अपने अपने गवाह पेश करते मे ये झगडे न रहेंगे । कभी कभी जबर्दस्ती भी विवाह विधि कर दी जाती है । वर वधू दिखाये कोई जाते है और शादी किसी के साथ कर दी जाती है । बालविवाह प्रतिबंधक कानून तथा और भी ऐसे कानूनो को भग करके शादियों हो जाती है । रजिष्ट्री के रिवाज से ये झगडे कम हो जायगे । चल ही पैदा हो रजिष्ट्री का यह मतलब नही है कि सरकार के हाथ मे विवाह का सूत्र दे दिया जाय । रजिष्ट्री का मतलब सरकार को विवाह का गवाह बना लेना है । जैसे बालक के पैदा होने और मरने की सूचना सरकार मे कर दी जाती है और सरकार उसे रजिप्टर मे लिख लेती है उसी प्रकार विवाह की सूचना भी लिख ली जायगी । हा, जन्म मरण की सूचना की अपेक्षा इस मे कुछ अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। कोई स्वार्थवश झूठी रिपोर्ट भी कर सकता है इसलिये वर वधू को रजिष्ट्रार के सामने उपस्थित होने या रजिष्ट्रार को घर बुलाने की आवश्यता रहेगी । काजी या पुरोहित से रजिष्ट्री कराने की कोई जरूरत नहीं । समाज मे इन की आवश्यकता ही नही है । उन लोगो को आजीविका के लिये धधा मिल जायगा यह ठीक हैं पर रजिष्ट्री का उद्देश मारा जायगा । नाजायज विवाहो का समर्थन कर देना इनके लिये वडा सरल है । फिर भी अगर किसी सघ को अपना रजिष्ट्रेशन आफिस रखना है तो भले ही रक्खे पर 1 सरकारी रजिष्ट्री गवाही की दृष्टि से अनिवा वर्तमान मे रजिस्ट्री कराने में एक है । वह यह कि जिस विवाह की रजि जाती है उसके लिये एक जुदा ही 1 [ सिविल ला ] लागू होता है | हिन्दू ला लिम ला आदि की अपेक्षा उसका REC कुछ जुदा है । पर रजिष्ट्रेशन की यह तभी तक है जबतक कि दायभाग आदि कानून जुढे जुदे है बाद मे यह आपत्ति जायगी । M सकती है । विधि या उत्सव हैं पर इस मे पर यदि अभी हिन्दू ला आदि अलगकानून उठाये न जा सकते हो तो भी उ पहिले रजिष्ट्री की सुविधा की जा सकती सिविल ला के अनुसार होने वाले विवाहो ही रजिष्ट्री न की जाय किन्तु किसी भी तर के विवाह की रजिष्ट्री की जाय और उस यह बात लिख दी जाय कि यह विवाह ज कानून के अनुसार हुआ है । इस प्रकार वैवा हिक कानून की अडचन दूर हो रजिट्रेशन के आगे पीछे करना विडम्बना कही जा सकती कोई विडम्बना की बात मालूम नहीं हमारे यहा वच्चा पैदा होता है तब उसकी खबर सरकार मे कर दी जाती है पर इसी से हमार कार्योकी इतिश्री नहीं हो जाती । हम उत्सव भी मनाते है और भी आवश्यक क्रियायें करते है इसी प्रकार विवाह की बात है । विवाह के कानूनी रूप के लिये रजिष्ट्रेशन है और वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियों का अनुभव करने और समाज की भी गवाही देने के लिये विवाहोत्सव मनाना चाहिये । जब कभी राज्यक्रान्ति आदि होने से सरकारी रजिष्टर न मिले तो समाज होती । जब ए

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