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निरतिवाद फिर भी दाम्पत्य को अगर वैपयिक सम्बन्ध क्षेत्रादि परिस्थितिके भेद से विपम मालूम होता है ही मानलिया जाय और दाम्पत्य को सिर्फ इसीमे अन्यथा मूल मे वह एकसा-सजातीय है। सीमित कर लिया जाय तो यह मनुष्य का पशुता
कुछ राजनैतिक कारणो से एशिया, खासकी ओर पतन होगा । मनुष्य के दाम्पत्य मे शारी
कर भारत मे गोरी जातियो के विषय मे घृणा है रिक ही नहीं किन्तु मानसिक समन्वय की भी
क्योकि उनने अन्य जातियो पर बहुत अत्याचार आवश्यकता है । इसलिये सौन्दर्य, सदाचार, खान
किये है और छलबल से सताया है। नि सन्देह पान की समता, भापा आदि बातो के देखने की भी आवश्यकता है । परन्तु इन बातो को लेकर
पाप घृणा की वस्तु है । और उस कारण से जातिभेद न बनाना चाहिये। अभी जाति के
पापी से भी घृणा हो जाय तो क्षम्य है परन्तु नाम पर जो भेद बना लिये गये है उनमे कोई
पापी की जाति को मौलिक रूप मे सदा के लिये ऐसी विशेपता नही है जो दूसरो मे न पाई जाती
जुदा समझ लेना भल है । कुशासन से हम घृणा हो इसलिये अनुकूल सम्बन्ध ढूडने के लिये अमुक
करेगे इसके लिये कुशासक को भी सतायेंगे पर गुणो और अपनी आवश्यकताओ का ही विचार उस जाति मात्र को बुरा समझना भूल है । पशुकरना चाहिये न कि कल्पित जाति का । दाम्पत्य
वल और अधिकार आने पर मनुष्य मे अत्याचार के लिये जिन जिन गुणो को हम चाहे उनका की प्रवृत्ति होने लगती है इसके लिये हम उसे विचार करे परन्तु सब कछ मिल जाने पर भी दड दे सकते ह लेकिन समूह मात्र से घृणा नही सिर्फ कल्पित जातिभेद से न डर जॉय । आव- कर सकते । समूह मे एक दो प्रतिशत अच्छे श्यक गुणो को कसौटी बनाकर मनुष्य मात्र के आदमी भी हे सकते है उनसे घृणा नहीं कर साथ सम्बन्ध करने को हम तैयार हो । और सकते । राजनैतिक आदि परिस्थितियो के बदल दूसरा जो तैयार होता हो उसे सहारा दे उसके जाने से वे लोग मित्र बन जायगे इस मे कोई साथ सहयोग करे ।
सन्देह नही । इसलिये हमे गो। काले पीले आदि बहुत से लोग सैद्धान्तिक रूप में इस सर्व- के कारण किसी से घृणा न करना चाहिये न जाति-समभाव को मानते है पर किसी कारण विपमभाव रखना चाहिये । हा, अत्याचार के से उन्हे अगक जाति स घणा होती है। जैसे विरुद्ध लडना चाहिये इसलिये हम अत्याचारी अमेरिका में अमेरिकन लोग सबसे समभाव रक्खेगे से लड सकते है, पर उसको अत्याचारी समझ परन्तु उसी देश मे बसनेवाले हब्शी लोगो से कर न कि विजातीय समझकर । अत्याचार का बदला न करगे इसका कारण यह दुरभिमान है कि एक चुक जाने पर या अत्याचार दूर हो जाने पर हम दिन ये हळगी हमारे गुलाम ये और आज बराबरी प्रेम भी करेगे । का दावा करते है । वास्तव मे उनमे कोई विप- खाने पीने मे हमे भोजन की शुद्धता, मता नहीं है । एक दिन जो हब्शी पशु सरीखे स्वास्थ्यकरता स्वादिष्टता स्वच्छता आदि का ही ये वे ही आज सभ्यता शिक्षा आदि मे अमेरिकनो विचार करना चाहिये न कि जाति का । विवाह के बराबर है इसीसे मालूम होता है कि मनुष्य सम्बन्ध मे अनुकूल शरीर मन आदि का विचार