Book Title: Nirtivad
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satya Sandesh Karyalay

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Page 30
________________ २६ ] निरतिवाद के विषय मे है । इन रियासतो का स्थान एक अगर राजा या रानी ने यह इच्छा प्रदर्शित की प्रान्तीय सरकार सरीखा होगा अर्थात् ये भारत होगी कि उनकी खानगी जायदाद भी उनके सरकार के नीचे रहेगी। स्मारक बनाने या किसी दूसरे ढग से कोई दूसरा दूसरी श्रेणी की रियासतो मे राजकुटुम्बो के स्मारक तैयार कराने मे लगायी जाय तो उसके लिये जो भेट दी जायगी वह ऊपर के अनुपात अनुसार कार्य किया जायगा। से करीब आधी होगी उनके अन्य खर्च भी कम देशी राज्योकी इस प्रकार कायापलट हो होगे | ये रियासते प्रान्तीय सरकारो के अधीन जाने से भारतीय जनता को और राजाओ को, रहेगी इन का स्थान एक जिला की तरह होगा। दोनो को लाभ है। तीसरी श्रेणी की रियासते जिलाधीश ( कले भारतीय जनता को तो यह लाभ है कि क्टर ) की देखरेख में रहेगी । इनके शासको को राजाओ के साथ जो सघर्प है वह मिट जायगा आनरेरियम और भी कम मिलेगा। और राजा लोग भारत की उन्नति करने मे और ठ-किसी भी राजाको गोद लेने का अधि जन सेवा करने मे दत्तचित्त हो जायगे । नि सकार न होगा । उसके बाद राजपुत्र उत्तराधिकारी न्देह राजाओ को जो विशेप सुविधाएँ रहेगीं वे होगा । उसके अभाव में राजपुत्री [ अगर वह निरतिवाद की नीति के कुछ बाहर जाती है । किसी दूसरे राज्य की रानी न हो तो ] राजपुत्री उनका खर्च राष्ट्राध्यक्ष की अपेक्षा भी बढ जाता के अभाव मे रानी की अनुमति हो तो राजा का है । फिर भी वर्तमान परिस्थिति की अपेक्षा वह सगा भतीजा, उसके भी अभाव मे अन्तिम शासक परिस्थिति कई गुणी अच्छी है। राजाओ का के रूप मे रानी, राज्य करेगी। रानी के देहान्त के बाद राज्य भारत सरकार के हाथ मे पूरे रूप कुछ पूंजीपतित्व अवश्य वढा रहता है पर पूँजीवाद मे आ जायगा। भारत सरकार या तो उसका नहीं बढ़ता । इससे विशेष हानि कुछ नहीं है | राज्य मे उत्तरदायी शासन स्थापित हो जाने से स्वतन्त्र एक प्रान्त बना देगी अथवा किसी प्रान्त मे मिला देगी। राजा लोग जो प्रजा से दूर पड़े हुए है वे निकट आजायगे । परस्पर का सकोच और भय दूर ड-इस प्रकार जो राज्य भारत सरकार होजायगा । एक दूसरे के सहयोगी और मे मिला दिया जायगा उसकी राजधानी मे अतिम प्रेमी बन जॉयगे । राजाओ के मनमे भी भारत राजा और अतिम रानी का एक विशाल स्मारक होगा । जिस मे राजा और रानी की मूर्तियों रहेगी से विशेप प्रेम हो जायगा । इसलिये भारतीय और चारो तरफ एक बाग होगा । यह स्मारक प्रजा को चाहिये कि वह देशी राज्योके विषय मे प्रथम श्रेणी की रियासतो के लिये करीब दस उपर्युक्त नीति से सहमत हो जाय ।। लाख रुपये के खर्च से, दूसरी श्रेणी की रिया- बहुत से लोग राजाओ को नष्ट कर देने सतो के लिये करीब पाच लाख रुपये के खर्च की बाते किया करते है | इस तरह की बातो से से और तीसरी श्रेणी की रियासतो के लिये करीव राष्ट्र की शक्ति छिन्न भिन्न होती है । राजा दो लाख रुपये के खर्च से बनाया जायगा। लोग अभी अनियन्त्रित शासक है अथवा जिसके

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