Book Title: Natyadarpan Hindi
Author(s): Ramchandra Gunchandra, Dashrath Oza, Satyadev Chaudhary
Publisher: Hindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi

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Page 8
________________ विषयानुक्रम विषय पृष्ठ १-५२ भूमिका [माचार्य विश्वेश्वर सम्पादकीय(क) नाटपदर्पण में रूपकेतर काव्यशास्त्रीय प्रसंग [f० सत्यदेव चौधरी] (ख) नाटयशास्त्रीय ग्रन्थों में नाटयदर्पण का स्थान [डॉ० दशरथ प्रोझा] ५३-८७ ८५-६७ प्रथम विवेक वृत्तिभाग का मङ्गलाचरण वृत्तिमाग की प्रवतरणिका नाटय-रचना की दुष्करता रस-कषियों की प्रशंसा शब्द-कवियों की निन्दा नीरसवाणी की निन्दा कषियों के लिए व्यवहारमान की उपयोगिता विद्वत्ता के साप कवित्व प्रावश्यक काम्यापहरण की निन्दा त्रिविध काव्य-संवाद मूलग्रन्थ का मङ्गलाचरण मङ्गल-श्लोक की दूसरी व्याख्या प्रतिपाद्य विषय रूपकों के भेद (१) नाटक का लक्षण वर्तमान चरित्रों के प्रभिनय का निषेध नाटकों में देवताओं के नायकत्व का खण्डन नायिका दिव्य भी हो सकती है नायक के चार भेद स्वभाव-व्यवस्था परित के दो भेद भावाभिव्यक्ति के नाटकीय प्रकार नाटकरचना-विषयक विशेष बातें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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