Book Title: Narbhavdrushtantopnaymala
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 8 कूर्मनामा दृष्टांतः : : 147 . भावार्थ:-जेम काचबो उपर आव्यो अने चंद्रमंडल देखीने नीचे चाल्यो गयो, तेम सम्यक्त्वने तजी संसारी जीव निगोद नरक आदि दुर्गतिमां जाय छे // 20 // तह कहमवि सो कुम्मो पाविज्जइ सोमदसणं कइया / तह कम्मविवरेहि वि हविज्ज सम्मत्तचंदपि // 21 // भावार्थ:-तेमज जेवी रीते कालांतरे (कोइपण वखते) मुश्केलीथी काचवो फरी चंद्रमंडलने जोवा पामे, तेवीज रीते. कर्मविवरनो बोजो (भार) घटवाथी फरी सम्यग्दर्शनरूप चंद्र प्राप्त थइ शके छे // 21 // इय अट्ठमदिट्ठतो कुम्मगनामा मए विणिद्दिट्टो / नरभवलद्धट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ // 22 // ___ भावार्थः-आ कूर्मक ( काचबासंबंधी ) नामा आठमो दृष्टांत मनुष्यजन्मनी दुर्लभता उपर शास्त्रसमुद्रमांथी लइ में ( नयविमले ) अहिं निर्देशेल देखाडेल छे // 22 // सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया / सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णयाइविमलेण // 23 // भावार्थः-श्री विजयप्रभसूरिना राज्यमां श्री
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