Book Title: Narbhavdrushtantopnaymala
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 176 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला पंचसया सगवण्णा [557] गाहापरिमाणमित्थ गिट्टि / सिरिपासणाहणाम-प्पहावओ मंगलं णिच्चं // 26 // भावार्थ:-आ प्रकरणमां पांचसे सत्तावन (557) गाथान प्रमाण निर्दिष्ट (देखाडेल) छे अने जे भव्य आ ग्रंथने भणशे, गुणशे अने अन्य भव्योने संभला ते भव्योने 'श्रीपार्श्वनाथस्वामि मा नौमना प्रभाथी हमेशा मंगल (कल्याण) रहे // 26 // // इति श्रीमत्तपागणगगनांगण दिनमणिभट्टारकश्रीमदभन्दविमलसूरीश्वरसुशिष्यपण्डितहर्षविमलगणिशिष्यपण्डितजयविमलगणिविनेयपण्डितकीर्तिविमलगणिशिष्यपण्डितविनयविमलगणिशिष्यपण्डितधीरविमलगणिसुगुरुपादारविन्दचञ्चरीकायमाणपण्डितनय विमल___ गणिरचिता नरभवदृष्टांतोपनयमाला, सम्पूर्णः // RAND ROOD HD // इति सिरिनरभवदिटुंतोवनयमाला सम्मत्ता / / HEN PORNHARHAARENA
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