Book Title: Narbhavdrushtantopnaymala
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 10 परमाणु दृष्टांतः : : 159 दुगसयतेरसज़ोयण-वित्थारो गाउअद्धपरिमाणो / ... सोलस सेोलस विजया मंदरओ पुव्वपच्छिमओ // 8 // भावार्थ:-तेमज बसो तेर (213) योजन अने अर्द्ध गाउ प्रमाणनी पहोलाइ छे आवी सोल सोल विजयो सुमेरुगिरिथी पूर्व अने पश्चिममा छे / / 8 / / एगारसहस्सअडसय-जोयणबायालदुगकलामाणं / देवकुरुतरखेत्तं उभयपासद्धचंदसमं // 9 // ___भावार्थः-बन्ने तरफनी बाजुए अर्द्धचंद्राकार अगीयारहजार आठसें बेंतालीस योजन अने बे कलाना (११८४क० 2) प्रमाणे देवकुरु अने उत्तरकुरु क्षेत्रो छे // 9 // तत्थ तिपल्लाउया जुअला मणुआ तिगाउउच्चघणा / अट्ठमभत्ताहारा वसंति कप्पदुपरिभोया // 10 // भावार्थ:-तेओमां त्रण. पल्योपमना आयुष्यवाला, त्रण गाऊनी उंचाइना शरीरवाला अने अष्टमभक्ताहार एटले त्रण दिवसने आंतरे आहार लेनारा अचे कल्पद्रुमथी उपभोगपरिभोग करनारा युगलीपालोको रहे छे // 10 // .तत्थ य गयदंताणं वक्खारगिरीण जमलसेलाणं / / जंबूदीवुवगाओ णायव्वा सव्ववित्थारो // 11 //
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