________________ विभाग ] नमस्कार स्वाध्याय [91-9] श्रीभूधर कवि रचित णमोकारमाहात्म्य श्रीगुरु शिक्षा देत हैं, सुमर मंत्र नवकार / लोकोत्तम मंगल महा, असरण जन आधार // 1 // प्राकृत रूप अनादि है, मित अच्छर पेंतीस / पाप जाय सब जापते, भाषे गणधर ईश // 2 // मन पवित्र कर मंत्रको, सुमिरो शंका छारि / वांछित वर पावे सही, शीलवन्त नर-नारी // 3 // विषधर वाघ न भय करें, विनसे विधन अनेक / व्याधि विषम व्यंतर भनें, विपत न व्यापे एक // 4 // कपिको शिखर समेद पे, मंत्र दियो मुनिराय / / होय अमर नर शिव वस्यो धर चौथी परयाय // 5 // कहो पद्मरुचि सेठने, सुनो बैलके जीव / / नर सुरके सुख भुंजके, भयो राव सुग्रीव // 6 // दीनो मंत्र सुलोचना, विंधश्रीको जोय / गंगादेवी अवतरी, सरप डसीथी सोय // 7 // (प्रति-परिचय ) आ कृति ‘णमोकारमंत्रका अर्थ' (प्रका० जैनधर्म पुस्तकालय, लाहोर ) नामका पुस्तकमांथी लेवामां आव्युं छे / आ स्तवनना प्रत्येक दोहामा पहेला अने त्रीजा पादनी साथे 'सुन प्राणी रे' अने बीजा तेमज चोथा पादनी साथे 'सीख सुन प्राणी रे' पद जोडीने बोलवामां आवे छे। स्तवनना कर्ता भूधर कविए पोतानुं नाम छेल्ली कडीमां दर्जाव्युं छे / कविवर भूधरदासजी आगराना रहेवासी हता। तेओ ज्ञातिए खंडेलवाल वैश्य हता। तेमणे पार्श्वपुराण, जैनशतक, पदसंग्रह वगेरे हिन्दी भाषामां अनेक ग्रंथो रच्या छ / तेओ दिगंबर जैन हता। आ स्तवनमां तेमणे नमस्कारनुं माहात्म्य वर्णव्यु छ /