Book Title: Namaskar Mantra
Author(s): Fulchandra Shraman
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 5
________________ नमस्कार-मन्त्र के सम्बन्ध में मन्त्र की महत्ता "मननात् त्रायते यस्मात् तस्मान्मन्त्रः प्रकीर्तितः" भारत के किसी प्राचीन महर्षि ने "मन्त्र" शब्द की इस व्युत्पत्ति के द्वारा मन्त्र की महत्ता पूर्ण रूप से व्यक्त कर दी है, साथ ही मन्त्र योग की साधना-प्रक्रिया का बीज भी हमें प्रदान कर दिया है । मन्त्र-साधना में 'मूल' तथ्य है'मनन'-अर्थात मन्त्र की भावना और अक्षरों के साथ तादात्म्य । भावना और अक्षर के साथ तादात्म्य ही मन्त्र की सार्थकता है और यही उसकी विराट् शक्ति है जिसके बल पर मन्त्र असाध्य को भी साध्य कर देता है, अप्राप्य को भी प्राप्त कर देता है और इष्टसिद्धि में सहायक होता है । भारतीय मनीषियो ने नाना रूपों में साधना करते हुए नाना मन्त्रों के रूप मे मानवीय शक्ति के असीम स्रोतों के साथ अपने को सम्बद्ध कर लिया है । यही कारण है कि यहां विभिन्न सम्प्रदायो के विभिन्न मन्त्र है और प्रत्येक [एक

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