Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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सीसोदियांरी ख्यात
पीढीयांरी विगत - १. विजैदत
७. भोगादित २. सोमदत सूर्यवंसी गैहलोत ८. देवादित ३. सिलादत
९. आसादित ४. ग्रहादित
१०. भोजादित ५. केसवादित
११. गुहादित ६. नागादित . १२. रावळ बापो वात' - रावळ बापो गुहादितरो । तिण हारीत-रिखरी सेवा करी । पछै हारीत-रिखीश्वर प्रसन हुय, बापानूं मेवाड़रो राज दीयो, नै हारीत-रिख वीमान’ बैस चालतो थो। सु बापानूं तेडियो' थो, सु मोड़ेरो आयो । सु पछै बापानं रथ सतां बांह झाली । बापारी देह हाथ' दस वधी । पछै तंबोळ' हारीत-रिख बापानं आपरो2 देह अमर करणनूं13 देतो हुतो", सु मुंहडा मांहे पड़ न सकियो । बापारै पग ऊपरै पड़ियो । तरै हारीत कह्यो-"मुंहडै मांहि पड़ियो हूंत तो देह अमर हूंत । तोही 7 पग ऊपर पड़ियो छ । थाहरै पगसू18 मेवाड़रो राज नहीं जाय ।” नै बापानं ऋखीश्वर कह्यो-“फलांणी ठोड़ छपन कोड़20 सोनइया छै । तिके उठाथी22 ले नै सामान कर । नै चीतीड़ मोरी23 धणी छ, सु मार नै गढ उरो लेजो24 ।' सु बापै ओ माल उरो ले25, सामान कर नै गढ लीयो । कवित रावळ बापा रो
... राव बुहारै बार, राव घर पांणी आणै,
राव करै मांजणो, राव मोजड़ियां तांण ।
1 वर्णन, कथा । 2 उसने । 3 हारीत ऋषिकी। 4 और 1 5 विमान 1 6 बैठकर । 7 बुलाया। 8 देरीसे। 9 बैठते हुए । 10 पकड़ी। 11 तांबूल, पान । 12 उसका । 13 करनेको । 14 था । 15 होता । 16 हो जाती । 17 तो भी। 18 तेरे वंशजोंसे । 19 अमुक । 20 करोड़। 21 सुवर्ण मुद्राएं। 22 वहाँसे । 23 मौर्यवंशका । 24 ले लेना। 25 ले कर । .. कवित्तका अर्थ - रावल बापाके कई राजा तो द्वार पर झाडू लगाते हैं, कई पानी भर कर लाते हैं, कई बरतन रगड़ते हैं, कई जूतियां पहनाते हैं ।

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