Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ॥ ॐ शिव ॥ . A - मुंहता नशासीरी ख्यात ॥ अथ सीसोदीयांरी ख्यात' लिख्यते ॥ ॥र्द० ॥ श्रीगणेशायनमः ।। आदि सीसोदीया गैहलोत' कहिजै । एक वात यूं सुणी । इणारी ठाकुराई पहली दिखण नासिक त्रंबक हुती । सु इणारे पूर्वजरै सूर्यरो उपासन हुतो। माँताधेन करता। .. तद सूर्य प्रतक्ष आय हाजर हुतो । तिणसू' को जुध जीप' सकतो नहीं । सु राजा घणी धरतीरो धणी हुवो । सु राजारै पुत्र नहीं । ... तरै सूर्यजीसं पुत्ररी वीनती की। तरै सूर्य कह्यो-'आंबाइ देवी। - मेवाड़ ईडररै गड़ासंधा2 छै । उठारी13 जात4 बोलो । इछना - करो। आधांन रहसी, तठा पछै17 जात करज्यौ ।” पछै जात इंछी। रांणीरै आधांन रह्यौ । पछै राजा रांशी आंबाइरी जात18 चालीया। ... सु रांणी चालतां राजारो मंत्र आवाहन रह्यो । तरै ग्रासीयां कांठ-ळियां20 दाव लाधौ, सूर्यरो उपासन मिटियो । तरै सिगळा22 भेळा हुय राजा ऊपर आया । राजा बाज मूओ23 । गढ़ वांसलो24 भोमियां ... लीयो । रांणी आँबायरी जात कर नैं गांव नागदहै25 बांभणांरै26 आंण ..... 1 ख्यात-प्राचीन इतिहास-वार्ता, किसी किसी पोथीमें इसके बाद 'वार्ता लिख्यते' ऐसा वाक्य भी लिखा मिलता है। 2 लिखी जाती है। 3 सीसोदा गाँवमें रहने के कारण सीसोदिया कहलाये । उदैपुरके महाराणा सीसोदिया हैं। 4 सीसोदिया पहले गहलोत कहलाते थे, गुहिलके वंशज होनेसे गहलोत कहलाये । 5 दक्षिणकी ओर । 6 मान्यता और ध्यान । 7 उससे। .' 8 कोई। 9 जीत नहीं सकता था। 10 तब । 11 गुजरातकी एक प्रसिद्ध देवी। 12 समीप । 15 वहाँको । 14 पुत्र आदिको प्राप्तिके निमित्त किसी देवी देवताकी यह मान्यता करना कि पुत्रको प्राप्ति हो, हो जाने पर उसको साथमें लेकर दिन निर्धारित कर निश्चित परिमाणमें प्रसादी चढ़ानेको, देवी देवताकी यात्राको जाना । 15 मनवाँछितकी प्राप्तिके लिये दृढ़ विश्वाससे याचना करना । 16 गर्भ । 17 जिसके बाद । 18 को । 19, 20, 21 भाग लेनेवाले और प्रति समय सेवामें रहनेवाले सरदारोंको अवसर मिला । 22 समस्त । 25 लड़कर मर गया । 24 गढ़का नाम । 25 एकलिंगजीके समीप एक गाँव । अब खंडहर मात्र है। 26 । ब्राह्मण ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 377