Book Title: Mudra Vignan
Author(s): Nilam P Sanghvi
Publisher: Pradip Sanghvi

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Page 13
________________ १.३ अभयज्ञान मुद्रा : दोनों हाथों से ज्ञानमुद्रा करके दोनों कंधो के आसपास इस तरह दोनों हाथों को रखे कि हथेली के ऊपर का हिस्सा कंधे के पास रखते हुए अभयज्ञान मुद्रा बनती है। लाभः ज्ञानमुद्रा के सभी लाभ के साथ जीवन में निर्भयता आती है । मौत या कोई भी प्रकार के डर से मुक्ति मिलती है । १.४ तत्त्वज्ञान मुद्रा : बायें हाथ की पृथ्वीमुद्रा (अंगूठा और अनामिका के अग्रभाग को मिलाकर) और दाहिने हाथ की ज्ञानमुद्रा (तर्जनी और अंगूठे के अग्रभाग को मिलाकर) दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए तत्त्वज्ञान मुद्रा बनती है । लाभ: ज्ञानमुद्रा के सभी लाभ के साथ विज्ञानमय कोष खुलते है और इससे तत्त्वज्ञान का ज्ञान बढ़ता है।

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