Book Title: Mudra Vignan
Author(s): Nilam P Sanghvi
Publisher: Pradip Sanghvi

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Page 34
________________ वाकचातुर्य वाणी की मधुरता और वचन स्पष्टता बढ़ती है इसलिए वक्ता, प्रोफेसर, शिक्षक, वकील, संगीत तजज्ञ जैसे व्यवसायी के लिए सहायक है। धूल या धुंआ की एलर्जी दूर होकर गला साफ होता है । गले के टोनसिल के दोष दूर होते है। • स्नायुमंडल सशक्त बनता है। • आंत, पेट और पेडू के नीचे के भाग के विकार दूर करने शंखमुद्रा और अपानमुद्रा साथ करनी चाहिए। नोंध : यह मुद्रा ठीक से जानकर बराबर करनी चाहिए क्योंकि यह मुद्रा अगर गलत तरीके से हो तो थायरोईड के स्त्राव में गरबड होने से शरीर अशक्त हो सकता है या शरीर मोटा हो सकता है । अगर ऐसा हो तो यह मुद्राका प्रयोग बंध कर दे। २७

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