Book Title: Mudra Vignan
Author(s): Nilam P Sanghvi
Publisher: Pradip Sanghvi

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Page 54
________________ २८.४ उपाध्याय मुद्रा : मंत्र : ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं विधि : मंत्र का उच्चारण कर के श्वास भरते हुए दोनों हाथ सीधे ऊपर की ओर ले जाकर दोनों हथेलियों को आसमान की ओर खोलकर दोनो अंगूठे के अग्रभाग और दोनों तर्जनी के अग्रभाग को मिलाकर थोडी सेकंड श्वास रोककर आसमान की और अपलक दृष्टि रखकर फिर धीरे-धीरे श्वास छोडते हुए पूर्व स्थिति में आयें। आध्यात्मिक लाभ : • इस मुद्रा के अभ्यास से स्वाध्याय वृति और अध्ययन वृति के प्रति रुचि बढती है। विद्या ग्रहण करने की शक्ति बढती है । • विकार और विजातीय द्रव्यों का विसर्जन होता है। • विनय का विकास और हृदय की विशालता बढती है। शारीरिक लाभ : • इस मुद्रा से गर्दन के दर्द दूर होते है । • आँखों की रोशनी और दृष्टि की तीक्ष्णता बढ़ती है। थायराईड, पेराथायराईड, पिच्युटरी, पिनियल और थायमस ग्रंथियों के स्त्राव संतुलित होते है। ४७

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