Book Title: Mudra Vignan
Author(s): Nilam P Sanghvi
Publisher: Pradip Sanghvi

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Page 49
________________ २६ आशीर्वाद मुद्रा : आशीर्वाद देते हो उस तरह से हाथ की सभी अंगुलियों को सीधी और एक दूसरे से लगाकर, अंगूठे को तर्जनी के पास रखकर दूसरे के सिर पर दोनो हाथ रखकर आशीर्वाद मुद्रा बनती है। लाभ : इस मुद्रासे पाँचो तत्वों से मिलती शक्ति का संयोजन होने से वह शक्ति आशीर्वाद के द्वारा दूसरे व्यक्ति में प्रदान की जाती है। २७ नमस्कार मुद्रा : दोनों हाथ की कोहनी और दोनों हाथ के मणिबंध मिलाकर, (दोनो हाथ के मणिबंध के बीच हो सके इतनी जगह कम कर के) सभी अंगुलियाँ एकदूसरे के आमने सामने मिलाकर याने एक तर्जनी के अग्रभाग को दूसरी तर्जनी के अग्रभाग को मिलाकर ऐसे ही दोनो मध्यमा को, दोनों अनामिका और दोनो कनिष्ठिका के अग्रभाग को और दोनो अंगूठे के अग्रभाग को मिलाकर नमस्कार मुद्रा बनती है । लाभ: • यह मुद्रा जो ठीक से हो सके तो सभी मुद्राओं का लाभ एक साथ मिलता है। • यह मुद्रा शांतचित्त से करने से शरीर के प्रकंपनो के अनुभव होते हैं । ४२

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