Book Title: Mokshshastra
Author(s): Chhotelal Pandit
Publisher: Jain Bharti Bhavan

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Page 20
________________ भाषा छन्द सहित । वासिन्यो देव्यः श्रीदीधृतिकीर्तिबुद्धिलक्ष्म्यः पल्यो पमस्थितयः ससामानिकपरिषत्काः ॥१९॥ गङ्गासिन्धुरोहिद्रोहितास्याहरिद्धरिकान्तासीतासीतोदानारीनरकान्तासुवर्णरूप्यकूलारक्तारक्तोदाः सरितस्तन्मध्यगाः ॥२०॥द्वयोर्दयोः पूर्वाः पूर्वगाः ॥२१॥ शेषास्त्वपरगाः ॥ २२॥ चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता गङ्गासिन्ध्वादयो नद्यः ॥२३॥ भरतः षड्विंशतिपञ्चयो छन्द विजथा। वाशिनि छहों कुलाचलकी षट देवीके नाम सुनो सु सही । श्री ही अरु धृति कीर्ति कही बुधि देवी लक्ष्मी जान सही ।। पल्यकी आयु जु है सबकी अरु तुल्य समा सुखसाज लही गंगा सिंधु सु रोहित रोहिता हरित नदी हरिकांत कही ॥१६॥ सीता अरु सीतोदा नदी नारी अरु नरकांत सही। सुवरणकूला रूपकुला अरु रक्ता रक्तोदा सबही ॥ नदिय चतुर्दशको परवाह भयो तिन कुंडनतें भुविमें। दो" दो नदि पूरवको गई अरु दो दो शेष अपूरबमें॥१७॥ गंग कुटुन्ब सहस्र चतुर्दश सिन्धु चतुर्दशतें दूनो। • सामानिक । + पारिषद।

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