Book Title: Mokshshastra
Author(s): Chhotelal Pandit
Publisher: Jain Bharti Bhavan

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Page 60
________________ माषा छंद माहित। कत्ववितर्कसूक्ष्मक्रियाप्रतिपातिव्युपरतक्रियानिवर्तीनि ॥३९॥ त्र्येकयोगकाययोगायोगानाम् ॥४०॥ एकाश्रथेसवितर्कवीचारे पूर्वे ॥४१॥ अवीचारं द्वितीयम् ॥ ४२ ॥ वितर्कः श्रुतम् ॥ ४३।। वीचारोऽर्थव्यञ्जनयोगसंक्रान्तिः ॥४४॥ सम्यग्दृष्टि श्रावकविरतानन्तवियोजकदर्शनपृथक्त्ववितर्क सु पहलो जान । दूजो एकवितर्क वखान॥१५॥ सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाती जान । तीजो भेद शुकलको मान ॥ व्युपरतक्रियानिवृत्ति भेव । चौथो शुक्लध्यान लख लेव ॥१६॥ तीनयोगवारेके जान । प्रथम शुकलकी प्रापति मान ॥ एकयोगवारेके नेम। द्वितिय शुकल प्रापति है तेम॥१६॥ काययोगवारेंकें होय । तीजा क्रिय प्रतिपाद सु जोय । चौथा शुकल अयोगी जान। यह परिपाटी सूत्र प्रमान ॥ १७ ॥ सैबीतर्क अवितर्क विचार । सकल सु श्रुतज्ञानी मुनि धार ॥ पहिले यह दो शुकल निहार । अवीचारे दूजे निरधार ॥५०॥ नौम वितर्क सु श्रुत पहिचान । या विध सूत्र करै व्याख्यान अर्थविचार पदारथ जान। व्यंजन बचन शब्द सो मान।।५१॥ मनवचकाययोग चित धरै । इकपद दुजो अनुसरै ॥ . -

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