Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 6
________________ सम्पादकीय यद्यपि मेरे अन्तर में जिन - अध्यात्म को जन-जन तक पहुँचाने की प्रबल भावना वर्षों से हिलोरें ले रही थीं। मैं चाहता था कि आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रन्थों का मर्म सभी को सरल-सुबोध भाषा में सुलभ हो; जिससे अनभ्यासी लोग भी उसके लाभ से वंचित न रहें; तथापि मुझे ऐसा सरल-सुबोध कथात्मक प्रतिपादन सुननेपढ़ने को नहीं मिला, जिससे मेरी भावना फलीभूत हो सके I जब मैंने डॉ. भारिल्ल के मुख से करोड़पति रिक्शेवाला और मेले में खोये बालक के उदाहरणों के माध्यम से जिन अध्यात्म का मर्म सुना तो मेरी भावना उन्हें छपाकर जन-जन तक पहुँचाने की हुई । इसी बीच श्री राजेश शास्त्री, शाहगढ़ ने इन व्याख्यानों को पृथक् से छोटी पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हो तो बहुत लाभ होगा • ऐसी भावना व्यक्त की। उनकी भावना से मेरे विचारों को बल - मिला । योगानुयोग से इसी समय मेरे भानजे श्री भाऊसाहेब नरदेकर ने इन व्याख्यानों को ही छपाकर पाँच हजार लोगों को अपनी ओर से वितरित करने की भावना व्यक्त की। इसप्रकार यह कृति आपके हाथों में प्रस्तुत है। मुझे विश्वास है कि समाज इससे लाभान्वित होगा और अपनी भावनायें मुझतक पहुँचायेगा तो मुझे अपने श्रम की सार्थकता तो प्रतीत होगी ही, आगे भी इसप्रकार के कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। - ब्र. यशपाल जैन

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