Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 20
________________ उक्त समाचार की ओर जब स्वर्गीय सेठजी के उन अभिन्न मित्र का ध्यान गया, जिन्हें उन्होंने मरते समय उक्त रहस्य की जानकारी दी थी, तो वे तत्काल उस युवक के पास पहुँचे और बोले - "बेटा ! तुम रिक्शा क्यों चलाते हो?" उसने उत्तर दिया- "यदि रिक्शा न चलायें तो खायेंगे क्या?" उन्होंने समझाते हुए कहा— " भाई तुम तो करोड़पति हो, तुम्हारे तो करोड़ों रुपये बैंक में जमा है।" अत्यन्त गमगीन होते हुए युवक कहने लगा'चाचाजी, आपसे ऐसी आशा नहीं थी; सारी दुनिया तो हमारा मजाक उड़ा ही रही है, पर आप तो बुजुर्ग हैं, मेरे पिता के बराबर हैं; आप भी ।" वह अपनी बात समाप्त ही न कर पाया था कि उसके माथे पर हाथ फेरते हुए अत्यन्त स्नेह से वे कहने लगे "नहीं भाई, मैं तेरी मजाक नहीं उड़ा रहा हूँ। तू सचमुच ही करोड़पति है । जो नाम समाचार-पत्रों में छप रहा है, वह तेरा ही नाम है ।" अत्यन्त विनयपूर्वक वह बोला - " ऐसी बात कहकर आप मेरे चित्त को व्यर्थ ही अशान्त न करें। मैं मेहनतमजदूरी करके दो रोटियाँ पैदा करता हूँ और आराम से जिन्दगी बसर कर रहा हूँ। मेरी महत्त्वाकांक्षा को जगाकर मैं स्वयं भगवान हूँ १४

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