________________
नहीं है, गुरु के भरोसे रहने पर भी आत्मा मिलनेवाला नहीं है । 'अपनी मदद आप करो' - यही महासिद्धान्त है । किसी भी महिला के वहाँ से निकलने पर पुलिसवाला पूछता - "क्या यही तेरी माँ है?" बालक उत्तर देता- 'नहीं ।'
ऐसा दो-चार बार होने पर पुलिसवाला चिढ़चिढ़ाने लगा और बोला
क्या नहीं-नहीं करता है, जरा अच्छी तरह देख । " क्या माँ को पहिचानने के लिए भी अच्छी तरह देखना होता है, वह तो पहली दृष्टि में ही पहिचान ली जाती है, पर पुलिसवाले को कौन समझाये ?
पुलिसवाले की झल्लाहट एवं डाट-डपट से बालक, जो माँ नहीं है, उसे माँ तो कह नहीं सकता; यदि डर के मारे कह भी दे, तो भी उसे माँ मिल तो नहीं सकती; क्योंकि उस माँ को भी तो स्वीकार करना चाहिए कि यह बालक मेरा है । यदि कारणवश माँ भी झूठ-मूठ कह दे कि हाँ यह बालक मेरा ही है । पर उससे वह बालक उसका हो तो नहीं जायेगा ।
आप कह सकते हैं कि वह महिला भी ऐसा क्यों कहेगी ? पर मैं कहता हूँ - कह सकती है, बाँझ हो तो बालक के लोभ में कह सकती है और पुलिसवाले तो किसी
मैं स्वयं भगवान हूँ
४८