Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 59
________________ संयोग तो पुण्य-पापानुसार जैसे होते हैं, वैसे होते हैं, उनमें ही वह अपना जीवन-निर्वाह करता है । यदि पुण्ययोग हुआ तो उसे अधिकतम लौकिक सुविधायें भी उपलब्ध हो सकती हैं, रहने को राजमहल भी मिल सकता है; यद्यपि वह राजमहल में रहेगा, उसे झोंपड़ी में परिवर्तित नहीं करेगा; तथापि वह उन अनुकूल संयोगों में मग्न नहीं होता, उसका अन्तर तो निज भगवान आत्मा की आराधना में ही रत रहता है। __जिसप्रकार संध्या के पूर्व बालक को माँ मिलनी ही चाहिए; उसीप्रकार जीवन संध्या के पूर्व हमें भगवान आत्मा की प्राप्ति होना ही चाहिए-ऐसा दृढ़-संकल्प प्रत्येक आत्मार्थी का होना चाहिए; तभी कुछ हो सकता है। ___ मानलो मेला प्रातः १० बजे आरंभ हुआ था और शाम को ६ बजे समाप्त होना है। इसप्रकार कुल मेला ८ घंटे का है। मानलो हमारा जीवन भी कुल ८० वर्ष का होगा। इस हिसाब से १० वर्ष का एक घंटा हुआ। मानलो १० बजे हमारा जन्म हुआ तो ११ बजे हम १० वर्ष के हो गये। इसी प्रकार १२ बजे २० वर्ष के, १ बजे ३० वर्ष के, २ बजे ४० वर्ष के, ३ बजे ५० वर्ष के, ४ बजे ६० वर्ष के, ५ बजे ७० वर्ष के और ६ बजे पूरे ८० वर्ष के हो जावेंगे। ___ दिन के दो बज गये हैं; पर अभी तक माँ नहीं मिली अपनी खोज

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