________________
साहब मैं नहीं, मेरी माँ खोई है; मैं तो आपके सामने ही खड़ा
डपटते हुए काँस्टेबल बोला-"चुप रह, कहीं माँ भी खोती है? खोते तो बच्चे ही हैं।"
आखिर उन्होंने यही रिपोर्ट लिखी कि एक खोया हुआ बालक आया है। जो भी हो; अब बालक से पूछताछ आरम्भ होती है।
"क्यों भाई, तुम्हारा नाम क्या है?" 'पप्पू' "तुम्हारी माँ का क्या नाम है?"
'मम्मी'
"तुम रहते कहाँ हो?" "अपने घर में"
बालक के ऐसे उत्तर सुनकर पुलिसवाले आपस में कहते हैं कि जब यह बालक अपनी माँ को पहिचानता ही नहीं है, उसका नाम तक भी नहीं जानता है तो इसकी माँ को कैसे खोजा जाय?
उनकी बातें सुनकर बालक सोचता है कि जिस नाम से मैं माँ को रोजाना बुलाता हूँ, क्या वह नाम, नाम ही नहीं है? मम्मी कहकर जब भी बुलाता हूँ, माँ हाजिर हो जाती है। फिर भी ये लोग कहते हैं कि मैं माँ का नाम भी नहीं
मैं स्वयं भगवान हूँ|