________________
उसके पड़ोस में एक गरीब व्यक्ति रहता था। उसका भी एक बेटा था । "कैसा?"
" जैसा कि सेठ अपने बेटे को चाहता था, सर्वगुणसम्पन्न, पढ़ने-लिखने में होशियार, व्यसनों से दूर, सदाचारी, विनयशील । "
सेठ रोज सुबह उठता तो पड़ोसी के बेटे की भगवान जैसी स्तुति करता और अपने बेटे को हजार गालियाँ देता । कहता - " देखो वह कितना होशियार है, प्रतिदिन प्रातः काल मन्दिर जाता है, समय पर सोकर उठता है और एक तू है कि अभी तक सो रहा है। अरे नालायक मेरे घर में पैदा हो गया है, सो गुलछर्रे उड़ा रहा है, कहीं और पैदा होता तो भूखों मरता, भूखों अरे अभागे
'
।"
बीच में ही बात काटते हुए पुत्र कहता - " पिताजी, और चाहे जो कुछ कहो, पर अभागा नहीं कह सकते।" "क्यों?"
41
" क्योंकि, जिसे आप जैसा कमाऊ बाप मिला हो, वह अभागा कैसे हो सकता है ? अभागे तो आप हैं, जिसे मुझ जैसा गमाऊ बेटा मिला है।"
एक दिन पड़ौसी का बेटा स्कूल नहीं गया। उसे घर पर देखकर सेठ ने कहा - "बेटा! आज स्कूल क्यों नहीं गये ?"
मैं स्वयं भगवान हूँ
२८