Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 17
________________ रुपये लेने नहीं आया। अत: बैंक ने समाचार-पत्रों में सूचना प्रकाशित कराई कि अमुक व्यक्ति के इतने रुपये बैंक में जमा हैं, वह एक माह के भीतर आकर ले जावे। यदि कोई व्यक्ति एक माह के भीतर नहीं आया तो लावारिस समझकर रुपये सरकारी खजाने में जमा करा दिये जावेंगे। ___ उस समाचार को उस युवक ने भी पढ़ा और उसका हृदय प्रफुल्लित हो उठा, पर उसकी वह प्रसन्नता क्षणिक साबित हुई; क्योंकि अगले ही क्षण उसके हृदय में संशय के बीज अंकुरित हो गये। __ वह सोचने लगा कि मेरे नाम इतने रुपये बैंक में कैसे हो सकते हैं? मैंने तो कभी जमा कराये ही नहीं। मेरा तो किसी बैंक में कोई खाता भी नहीं है। फिर भी उसने वह समाचार दुबारा बारीकी से पढ़ा तो पाया की वह नाम तो उसी का है, पिता के नाम के स्थान पर भी उसी के पिता का नाम अंकित है; कुछ आशा जागृत हुई, किन्तु अगले क्षण ही उसे विचार आया कि हो सकता है, इसी नाम का कोई दूसरा व्यक्ति हो और सहज संयोग से ही उसके पिता का नाम भी यही हो । इसप्रकार वह फिर शंकाशील हो उठा। इसप्रकार जानकर भी उसे प्रतीति नहीं हुई, इस बात का विश्वास जागृत नहीं हुआ कि ये रुपये मेरे ही हैं । अत: जान लेने पर भी कोई लाभ नहीं हुआ। इससे सिद्ध होता है कि | मैं स्वयं भगवान हूँ

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