Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 14
________________ स्थान नहीं है। प्रश्न : यदि यह बात है तो फिर ये ज्ञानानन्दस्वभावी भगवान आत्मा वर्तमान में अनन्त दुःखी क्यों दिखाई दे रहे हैं? उत्तर : अरे भाई, ये सब भूले हुए भगवान हैं, स्वयं को-स्वयं की सामर्थ्य को भूल गये हैं; इसीकारण सुखस्वभावी होकर भी अनन्तदु:खी हो रहे हैं। इनके दुःख का मूलकारण स्वयं को नहीं जानना, नहीं पहिचानना ही है। जब ये स्वयं को जानेंगे, पहिचानेंगे एवं स्वयं में ही जम जायेंगे, रम जायेंगे; तब स्वयं ही अनन्तसुखी भी हो जावेंगे। जिसप्रकार वह रिक्शा चलानेवाला बालक करोड़पति होने पर भी यह नहीं जानता है कि 'मैं स्वयं करोड़पति हूँ'- इसीकारण दरिद्रता का दुःख भोग रहा है । यदि उसे यह पता चल जावे कि मैं करोड़पति हूँ, मेरे करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं तो उसका जीवन ही परिवर्तित हो जावेगा। उसीप्रकार जबतक यह आत्मा स्वयं के परमात्मस्वरूप को नहीं जानता-पहिचानता है, तभीतक अनन्तदु:खी है; जब यह आत्मा अपने परमात्मस्वरूप को भलीभाँति जान लेगा, पहिचान लेगा तो इसके दुःख दूर होने में भी देर न लगेगी। मैं स्वयं भगवान हूँ|

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