Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 9
________________ क्योंकि करोड़पति रिक्शा नहीं चलाते और रिक्शा चलानेवाले करोड़पति नहीं हुआ करते। ___अरे भाई, जब वह व्यक्ति ही करोड़पति नहीं होगा, जिसके करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं तो फिर और कौन करोड़पति होगा? पर भाई बात यह है कि उसके करोड़पति होने पर भी हमारा मन उसे करोड़पति मानने को तैयार नहीं होता; क्योंकि रिक्शावाला करोड़पति हो–यह बात हमारे चित्त को सहज स्वीकार नहीं होती। आजतक हमने जिन्हें करोड़पति माना है, उनमें से किसी को भी रिक्शा चलाते नहीं देखा और करोड़पति रिक्शा चलाये-यह हमें अच्छा भी नहीं लगता; क्योंकि हमारा मन ही कुछ इसप्रकार का बन गया है। ___ 'कौन करोड़पति है और कौन नहीं है?'-यह जानने के लिए आजतक कोई किसी की तिजोरी के नोट गिनने तो गया नहीं; यदि जायेगा भी तो बतायेगा कौन? बस बाहरी ताम-झाम देखकर ही हम किसी को भी करोड़पति मान लेते हैं। दस-पाँच/नौकर-चाकर, मुनीम-गुमास्ते और बंगला, मोटरकार, कल-कारखाने देखकर ही हम किसी को भी करोड़पति मान लेते हैं; पर यह कोई नहीं जानता कि जिसे हम करोड़पति समझ रहे हैं, हो सकता है कि वह करोड़ों मैं स्वयं भगवान हूँPage Navigation
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