Book Title: Main Swayam Bhagawan Hu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 5
________________ प्रकाशकीय जैन साहित्य के इतिहास में डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल सशक्त हस्ताक्षर के रूप में प्रतिष्ठापित हैं। समाज के लब्धप्रतिष्ठित विद्वानों में वे अग्रगण्य हैं। जिसप्रकार उनके तात्त्विक प्रवचनों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में समाज एकत्रित होती है; उसीप्रकार उनके सत्साहित्य के पाठक भी विश्व के कोने-कोने में व्याप्त हैं । जैन हो नहीं, अपितु जैनेतर समाज में भी वे समादर के पात्र हैं। 'मैं स्वयं भगवान हूँ' डॉ. साहब के तीन विशेष लोकप्रिय व्याख्यानों का संग्रह है, जो उन्होंने विदेश की भूमि पर दिए थे। वहाँ इन व्याख्यानों को काफी लोकप्रियता मिली। समाज के अपार स्नेह को दृष्टिगत रखते हुए 'आत्मा ही है शरण' पुस्तक का सृजन डॉ. साहब द्वारा किया गया। उक्त कृति के कतिपय उदाहरण समाज की जवान पर चढ़कर बोलने लगे। ऐसे ही तीन उदाहरण - करोड़पति रिक्शेवाला, मेले में खोया बालक और सेठ के पड़ौसी बेटे का सजीव चित्रण डॉ. साहब द्वारा प्रस्तुत कृति में किया गया है 'मैं स्वयं भगवान हूँ' शीर्षक ही विषय वस्तु का दिग्दर्शन करा देता है; अत: अधिक कुछ लिखना समीचीन प्रतीत नहीं होता। प्रत्येक आत्मा स्वयं भगवान बनने की ताकत रखती हैं। हम सभी अपने स्वरूप को पहिचानें और परमात्म पद को प्राप्त करें- इसी भावना के साथ । महामंत्री पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर -

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