Book Title: Mahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

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Page 32
________________ ( ३० ) -सार्वभौम पौरवाल सम्मेलन और प्रान्तीय पौरवाल सम्मेलन को ____ प्रतिवर्ष सुन्दर योजनापूर्वक भरकर प्रस्तावों को कार्य में परिणत करो और कराओ। ५-पोरवाल जाति की वृद्ध, बान, अयोग्य विवाह भादि खराब हानिकारक रूढ़ि दोषों को दूर करके समाज शक्ति को बढ़ाने वाले संगठनादि शुभ गुणों को अमल करो और कराओ जिससे पौरवाल जाति की वास्तविक उन्नति पूर्व काल जैसी हो सके। पौरवाल जाति के अवान्तर भेद-दशा पौरवाल, पावती पोरवाल, जांगडा पौरवालों को अपने साथ मिलाकर उनके साथ - रोटी, बेटी व्यवहार शीघ्र जारी करदो और ओसवाल, श्रीमाल आदि जातियों की वृथा निन्दा (तिरस्कार) कभी मत करो । महाशयो ! लिखते २ मैंने खूब लिखा है परन्तु हित बुद्धि और प्रेम से पावश्यकीय लिखा है। अतः विश्वास है कि यह आपको अरुचि कर नहीं होमा। ___ अन्त में आपका यह महा मम्मेलन और कार्यकर्ता महानुभाव पूर्णतया सफल हो यही चाहता हुआ मैं यहां विराम लेता हूं। बड़ौदा, ? ____आपकी जाति का पूर्ण हितैषी मैं हूँ भिक्षु हि-शुविजय ( अनेकान्ती). - जीमण भी समाज की हानिकारक प्रथा है (ले० पूनमचन्द एच सिंधी सिरोही) इस उपरोक्त विषय के बारे में मेरी बहुत कुछ लिखने की अभिलाषा बहुत समय से हो रही है परन्तु में कोई अच्छा लेखक नहीं होने से मेरे पैर हमेशा पीके ही पड़ते गये। धन्य भाग से श्री अखिल भारतवर्षीय पौरवाल महासम्मेलन के अवसर पर हमारे समाज के हजारों उद्धारकों के सन्मुम्ब इस उपरोक प्रथा का सुप्रबन्ध किया गया जिससे मेरे को अत्यन्त शान्ति व मेरी अभिलाषा को

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