Book Title: Mahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

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Page 81
________________ ठहराव १३ मो. विवाहारा रिवाज माफिक मसालारा भी गांव दर गांव चाँवल देवणरी रिवाज है, सो देवणा नहीं। सिर्फ पोतारी खास-गिनयतारे साथ मुसालो लेने जावे और इसमें लिखिया हुवा पहरावणीरा रिवाज माफिक वर्त लेवे ।. पंच इकठा कर पांनो मंडावणो नहीं। _मगर गांवरा नालेर मामेरावाला अवश्य पुगाय देवे। ..... ठहराव १४ मो. इण बंधारणवाला गांवों में भी गांवाउ लाग कम ज्यादा है सो मामूली एक सरिखी होणी चाहिने जिणपर भागासुं विचार करणो बोत जरूरी है। ठहराव १५ मो. बहुतसा गांवों में गाम सारणी बंद है मगर कोई कोई गांव में धमीरी मी सुं अथवा पंचोरा केणासुं करण-करावणरो रिवाज है। सो अव कतई बंद कर दी जाये है। ठहराव १६ मो. कोई भी प्रातरा पविणा जेडा के विवाहस्थापवारा याने जेवर चढाबारा मोमणारा आँणारा, दिवाली वो जाया-आणा विगेरेरा टंक ६ सुं ज्यादा रेखो राखला नहीं। और मोजणारा माणारी सोठों बंद करदी है सो सिर्फ तीन पासों भररो पाइ भेजयो। उपरोक ठहराव फिलहाल नीचे दस्तखत करवावाला गांव में ही हुआ है, मगर उद्देश प्रो है के ए ठहराव साराई गांवों में हो जावे । .... कदाचित दूजा गांवों मदिसुं कोई एक गांववाला इण ठहरावोरे शामिक नहीं होने ने उणारी जान भोपणा गांव में आवे तो उणारे साथ इस रिवागार एवाधिक वर्तप्पो, लेकिन आपणा गांवारी जान उण गांव में जाने बद अब

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