Book Title: Mahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ (७) (ब) तीसरे दिन जानवाला जानोली, मर्जी हुवे तो गांव समस्थने और मर्जी हुवे तो सिर्फ जानवालांने जिमावे | (ङ) एकहीज गांव में एक से अधिक गांवारी जानां भावे तो जानोलियां सुबह शांम दोई- टंक करे, मगर आखरी जानोली वालों रो जिमण जो सुबह हुवे, तो संजियारा मांडावाला पोतारा घरे जान आई हुने जिने मर्जी हुवे तो मिजवांनी रो जिमख दे सके है। गांव मांली जान वालो ने तथा वारल, गांववालांरी जानोली संजियारा हुई होवे तो मिजवानी देखी नहीं। (छ) पंचोसुं रजा लियोड़ी जानेलियां पेला होसी और बिना रजावालों री बाद में होसी | कदाच जांना जादा रे सबब सुं बिना रजावाला नहीं ठहरणा चावे तो वे जांन विदाय कर जांनोली आगे करे पिए उस गांव में करे नहीं । ( ज ) एकसुं ज्यादा जाना होवे जद कोई कोई गांव में आमो-सामो जिमणरो हुंकारो लेवरी प्रथा है सो बंद कर दी गई है। फ पंचोरी तर्फ सुं जानिवासे नोटो जावे ने साराइ जानवाला जिमने आए जावे | ठहराव - मो लागत री बाबद (क) पंचोरी गांवाउ लाग माग तथा कमिण कारूरी लागत पोत पोबारा गांवरा आगला रिवाज माफिक कायम है मगर कांसा और मांबा हालरा भातां रे मुजब देवणा । (ख) सांवेला में रूपियों १। सुं ज्यादा नांखणो नहीं । ( ग ) मळणीरी वक्त तथा तोरणरे मुंडे जांनवालों कने मांडावाला कोई लागत लेवे नहीं फक्त आरती में रूपियो १ वर पक्ष मेख देवे (घ) विवाह में मांगलिक गीत सिवाय खोटा गीत गावण्णा नहीं । (छ) माया में टका और सुभांगीरी मिठाई बगेरा लागे है सो बंद कर दी गई है। तथा मो- सांगो साता-सुपारियां भी बंद करदी है

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92