Book Title: Mahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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( ७३ )
परिणाम प्रो आय रह्यों है के, सामान्य स्थितिवालों ने भी इसरो अनुकरण करो पड़े है ।
इच्छा नहीं होवे तो भी इज्जतरे खातर खाड में उतरणों पड़े ।
नेता
प्रभाव
अफसोस है के, आज समाज में कोई निःस्वार्थ नेता नहीं, ना कोई प्रखर विद्वान, नहीं कोई व्यवस्थित सुधारक मंडल के वे समाजरी गिरी हुई दशासे अवलोकन कर योग्य रस्ता पर लावे, मार्ग दर्शक बने ।
निराशा में आशा
मंजूर करणो पडेला के समाज में थोडा सज्जन एडा भी जरूर मौजूद है के इण करूण हालत सुं उपारो दिल पसीज जावे है । और समय पर सभा-सोसाइटियां भर इस दुर्दशारो अंत लावणरी कोशिश करे है मगर आज तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई ।
निष्फलतारो कारण
निष्फलता रा कई कारणों में मुख्य कारण तो आज समाज में विघ्न संतोषियांरी भरमार है. अच्छे बुरेरा खयाल कीयां बिना इणोंरो एक मात्र दोज हो गयो है के हर सामाजिक कार्य में विघ्नं खडो करदेखो ।
समाज में आज निंदाखोरोंरी भी कसर नहीं है, समाजरा पतनरी ए भी एक अंग है । भावी इणोंने सन्मति देवे ।
फिर कोशिश
समाजरी बिगड़ी हुई दशा अधिक बिगड़ती देख कुछ सज्जनोरे उपर बुरी असर हुई और कोई व्यवस्थित मंडलद्वारा फिर कोशिश करणरी कमर कसी ।
स्थल निर्णय
चूंकि एडा सामाजिक सुधारणा मारवाड़ में हीज सब गांवांरा पंचाने एकत्रित कर करना जरूरी था ।