Book Title: Mahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Author(s): Tarachand Dosi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan

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Page 65
________________ (३ ) श्रेणिक. चटक और दसाणभद्र आदि जैम अनेक जैन धर्मगधक नगेन्द्र सम्राटों के न्याय सम्पन्न गज्य में रह कर श्रानन्द कामदेव और पुणियाजा जैसे धर्मधारी श्रावक धर्म को पालन करते हुए जैन शामन की शामा बढ़ा गं थे, जहां के प्राम-ग्राम और नगर-नगर में कीडियों की तरह गड़ा जैन घूमते हए दृष्टिगोचर होते थे। हाय अफमाम ! हाय भूमि का दाग्य ! हाय विषम काल ! माण हमार ममाज व धर्म की कमा पतिन दशा है कि कगड़ा में में आज उसकी मान भूमि में सैकड़ों भी नजर नहीं आते । अफमाम ! अब कानसा रास्ता लेना चाहिय. कमा आन्दोलन अथवा (Propaganda) प्रचार काय करना चाहिये कि जिससे हमारा उन्थान हावं, हमारी उन्नति होव, हमाग अभ्युदय होवे। अगर ऐसी कल्पना की होती तो मैं दाव के साथ कहता हूँ कि एसी कल्पना समाज में हृदय भेदक दुःख उत्पन्न किये बिना रहती नहीं और उस दुख के निवारणार्य प्रचण्ड आन्दोलन समाज में चले बिना रहता नहीं और अन्य ( Mission Societies) धर्म प्रचारक समाजों की तरह से एक आध ( Mission Society) धर्म प्रचारक समाज स्थापित हुमा नजर आता और सारे संसार में उसकी (Branches) शाखाएं खुली हुई नजर माती। सैकड़ों उपदेशक स्टीमर यात्रा करते हुए अथवा युरोप अमेरिका के बर्लिन हेमवर्ग, न्युयोक और पेरिस जैसे (Intellectual homes ) बुद्धिवादी संस्कृति के प्रधान स्थान रूप नगरों की गरियों में जैन धर्म के (Universal brother hood) विश्ववात्मल्यता के झण्ड को धारण कर घूमते हुए और विश्वोपकारी वीर के अमूल्य ( Message of mercy ) अहिंमात्मक सन्देश को विश्वव्यापि बनाने में भरसक प्रयत्न करते हुए नजर आते। परन्तु हमारे समाज को अभी तक अपने अधः पतन का भान भी नहीं हुआ अथवा हमारे समाज के मानसिक क्षेत्र में ऐसी (Problem) समस्या को स्थान ही नहीं दिया गया, नहीं तो बड़ी बड़ी समस्यायें मंसार में हल होती है तो इस समस्या ( Problem) को ( Solve ) हल करने का मार्ग भी अवश्य मिलता। मेरा तो जहां तक अनुभव है कि जैन धर्म प्रचार का जसा सुअवसर अब समाज को प्राप्त हुआ है वैसा दूसरे समाज अथवा धर्मानुयायियों के लिये नहीं है और उसके ( Reasons) कारण निम्न दर्शित है। .. (१) आधुनिक संसार ( Scientific Research ) वैज्ञानिक शोध खोलं में दिन २ आगे बढ़ रहा है और जैसे २ (Scientific developement) वैज्ञानिक

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