Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 5
________________ सती मदनरेखा अचानक मणिरथ की नजर मदनरेखा पर पड़ी। मणिरथ के सामने खड़ी दासी ने निवेदन कियावाह, क्या गजब की सुन्दता है? लगता है, जैसे स्वर्ग से कोई परी | महाराज ! यही है आपकी युवरानी! उतर आई है, कौन है यह अप्सरा? भगवान ने रूप, रंग, बुद्धि सब कुछ दिल खोलकर दिया है। पूरे मालव जनपद में इसकी जोड़ी की सुन्दरी नहीं है। fr 2.0 SMS pace मणिरथ कुछ देर तक मदनरेखा के विषय में पूछता रहा। अंधेरा गहराने लगा तो मणिरथ लम्बी साँसें। | तभी महारानी ने महलों में प्रवेश किया। राजा को भरता हुआ महल के कक्ष में आकर सिर पर हाथ । उदासी में खोया देखेकर नजदीक आकर पूछाधर कर गुम-सुम सा बैठ गया। महाराज! आज क्या हो गया DIY आपको? तबियत तो ठीक है न! YoutuME "ओह! महारानी। आप कब आई! मैं तो यूँ ही रामकाज की चिंता में डूबा था... कोई खास बात नहीं.... Jain Education Intemátional Private Personal use only

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