Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 18
________________ सती मदनरेखा जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करते हुए वह एक पहाड़ी के नीचे पहुँच गई। सामने एक विशाल तालाब था, और इधर बीहड़ जंगल। वहीं पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया। उसने साड़ी का एक पल्लू फाड़कर झोली बनाई। पुत्र को वृक्ष की डाल पर टांगकर अपनी शरीर शुद्धि के लिए तालाब की तरफ चल दी। Minum तभी उसने देखा, सामने चिंघाड़ता सूँड उछालता, पागल हाथी! मदनरेखा एक बड़े बरगद की ओट आक्रमण करने लपककर आ रहा है। में छुपने की चेष्टा करने लगी। Miner Corner 16 For Private & Personal Use Only the www.jainelibrary.org.

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