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सती मदनरेखा
जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करते हुए वह एक पहाड़ी के नीचे पहुँच गई। सामने एक विशाल तालाब था, और इधर बीहड़ जंगल। वहीं पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया। उसने साड़ी का एक पल्लू फाड़कर झोली बनाई। पुत्र को वृक्ष की डाल पर टांगकर अपनी शरीर शुद्धि के लिए तालाब की तरफ चल दी।
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तभी उसने देखा, सामने चिंघाड़ता सूँड उछालता, पागल हाथी! मदनरेखा एक बड़े बरगद की ओट आक्रमण करने लपककर आ रहा है।
में छुपने की चेष्टा करने लगी।
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