Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 32
________________ सती मदनरेखा तो फिर अब मुझे उसी धर्म की शरण में जाना है। देवी, तुम ठीक कह रही हो, अगर अन्तिम समय मैंने धीरता, गंभीरता नहीं रखी होती तो शायद मैं दुर्गति का मेहमान बनता."यह सब धर्म का ही प्रभाव है। SalveAS धन्य हैं -तुम्हारे विचार) OCD देव ने मदनरेखा को अपने दिव्य विमान में बैठाकर मिथिला में विराजित साध्वी सुदर्शना जी की सेवा में पहुंचा दिया। मदनरेखा का वैराग्य, विवेक और साहस देखकर साध्वी जी ने उन्हें दीक्षा प्रदान की। सुव्रता नाम रखा गया। सती मदनरेखा ने साध्वी सुव्रता बनकर तप-ध्यान द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की। पपपपज पल्स समाप्त 130 lain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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