Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 38
________________ FINANIYA श्री सम्मेद शिखर महातीर्थ अधिष्टायक समकितधारी देव श्री भोमियाजी बाबा * सत्साहित्य के स्वाध्याय से जीवन में ज्ञान का प्रकाश और सम्यग् दर्शन की अनुभूति होती है। * ज्ञान एवं दर्शन की विशुद्धि से आत्मा परम आनन्द को प्राप्त करती है। * परमानन्द की प्राप्ति के लिए स्वाध्याय अमृत तुल्य है। -श्रमणसंघीय सलाहकार मंत्री श्री सुमन मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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