Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

Previous | Next

Page 25
________________ सती मदनरेखा देव ने कहा मदनरेखा ! तुमने अपनी शीलरक्षा के लिए जो बलिदान दिया है, जितने कष्ट सहे हैं, वे समस्त नारी जाति के लिए गौरव बनकर रहेंगे.. मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर सका, परन्तु तुमने मेरा उद्धार कर दिया... मुझे अब कोई सेवा का अवसर दो.. मदनरेखा ने कहा आपको सद्गति मिली तो मुझे सब कुछ मिल गया.. अब कुछ भी कामना शेष नहीं है बस एक बात जानना चाहती हूँ कि वन में मैंने जिस पुत्र को A जन्म दिया वह किस स्थिति में है.. कहाँ है...' (देव, ऐसा कुछ मत कहिए। 0409-Ma CCCECO CCCES देवी ! आप जानना चाहती हैं तो वह सभी घटना क्रम मैं आपके सामने उपस्थित करता हूँ। देखिए..... जंगल में मिथिला का राजा पमरथ सेना लेकर हाथियों को पकड़ने के लिए आया हुआ है। UTUKAR DesKarovi २ana 23

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38