Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 20
________________ सती मदनरेखा | मदनरेखा बेहोश थी। उसका खिला यौवन और | सुन्दरता देखकर विद्याधर का मन मुग्ध हो गया। | उसने शीतल जल छिड़कर मदनरेखा को स्वस्थ किया। ऐसी अपूर्व सुन्दरी तो मेरे महलों की शोभा बढ़ायेंगी, इसे अपनी रानी बनाऊँगा.. INS Juin Education International 0000 इन बियावान जंगल में ऐसी अप्सरा-सी सुन्दर युवती! अवश्य ही कोई विपत्ति में फंसी है। और विमान को वापस उलटी दिशा में मोड़ लिया। पहले इसे महलों में छोड़कर फिर आगे जाऊँगा। 18 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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