Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 15
________________ सती मदनरेखा मदनरेखा ने कहास्वामी ! लांछन नहीं, हकीकत है। मैने आज तक आपसे सब कुछ छिपाया, सिर्फ इसलिए कि भाई-भाई के प्रेम में भेद न पड़े। परन्तु आज सच-सच बता देना चाहती हूँ। मदनरेखा ने पिछली घटनाएं सुनाई तो युगबाहू का खून-खौलने लगा। उसने हाथ में तलवार उठा ली। भाई के वेश में शैतान छुपा है। अभी उसकी नहीं। नहीं स्वामी खबर लेता हूँ। भाई-भाई में खून खराबा हो यह उचित नहीं है। HE Shannon नागि Anpur मदनरेखा ने युगबाहू को टोका, तब तक मणिरथ धडधडाता कक्ष के अन्दर आ गया। युगबाहू संभलता उसके पहले ही उसने तलवार के तीव्र प्रहार से उसे घायल कर दिया। और मणिरथ पीछे के दरवाजे से। निकलकर भाग गया। ओह ! भैय्या, तुमने यह क्या कर डाला? MITITITHILE RATULA For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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