Book Title: Mahasati Madanrekha Diwakar Chitrakatha 012
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 13
________________ सती मदनरेखा एक दिन युगबाहू ने मदनरेखा से कहाप्रिये ! अब बसन्त का सुहावना मौसम है और तुम भी शीघ्र ही हमारी दूसरी सन्तान की माँ बनने वाली हो, इसलिए हम उद्यान में जाकर कुछ दिन बसन्त-विहार करना चाहते हैं। दूसरे दिन युगबाहू-मदनरेखा बसन्त ऋतु का आनन्द लेने राजकीय उद्यान के आराम गृह में चले गये। देखो, कितना सुहाना मौसम है। हम कुछ दिन यहीं रहेंगे। (स्वामी ! मेटी भी यही इच्छा है। इस शुभ काम में देर क्यों!... FAVAM albps 573 NROTRAL कृष्ण पक्ष की काली रात को मणिरथ अकेला हाथ में तलवार लिए घोड़े पर चढ़कर उद्यान की ओर चल पड़ा। सुनसान रात में मणिरथ को आगे बढ़ते हुए चौकीदार ने टोका कुटिल मणिस्थ, युगंबाहू-मदनरेखा की पलपल की खबर रखता था। गुप्तचर ने आकर उसे सूचना दी महाराज ! युवराज-युवरानी एक सप्ताह के लिए उद्यान के आरामगृह में बसन्त-विहार करने चले गये हैं... रात को भी वहीं अकेले रहते हैं।.. सिर्फ दो अंगरक्षक साथ ले गये हैं। कौन है? 200 N यह सुनकर मरिणरथ को अपने मनसूबे पूरे करने को एक रास्ता सूझ गया। 11 Jan Education International For Private, & Personal Use Only nelibrary.org

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