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॥अथ श्रीदेवचंजीकृत
मात्रपूजाविधिप्रारंभः
॥प्रथम निस्सहीपूर्वक श्रीदेरासर मध्ये श्रावी अंग शुरू करी, नवीन वस्त्र पहेरी, स्वनाल तिलक करी, बाजोग्नी स्थापना करी, ते उपर बाजोठ मांमी, स्नानपीठ उपर थालनी स्थापना करवी, ते उपर तंऽखनी ढगली करवी ॥ तेनी उपर रूपानाएं तथा नालीयेर
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