Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 143
________________ १४५ तीर ॥६॥ सिंहासने सुरराज, जिहां मस्या देवसमाज ॥ सर्व औषधिनी जात, वर सरस कमल विख्यात ॥ ७॥ ढाल ॥ विख्यात विविध परे कमलना ए ॥ तिहां हरख जर सुरलि वरदामना ए ॥७॥ चाल ॥ हां रे वरदाम मागध नाम, जे तीर्थ उत्तम गम ॥ तेह तणी माटी सर्व,कर ग्रहे सर्व सुपर्व ॥ए ॥ बावनाचंदन सार, थनियोग सुर अधिकार ॥ मन धरी अधिक श्रानंद, अवलोकता Jain Educationa Inteffcatləbsonal and Private Usev@viky.jainelibrary.org

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