Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 147
________________ १४६ पाठ ॥ थाय थुश्य मंगल एम, मन धरी अधिक बहु प्रेम ॥२२॥ ढाल ॥प्रेममद घोषणा पुण्यनी सुरासुर सहु ए॥ समकित पोषणा शिष्ट संतोषणा एम बहु ए॥ २३ ॥ चाल ॥ हां रे बहु प्रेमअ॒सुख देम, घरे आणीया निधि जेम ॥ बत्रीश कोडि सुवन्न, करे वृष्टि रयणनी धन्न ॥२४॥ जिनजननी पासे मेली, करे अहाश्मी केली ॥ नंदीश्वरे जिनगेह, करे महोत्सव ससनेह ॥ २५॥ Jain Educationa Inteffatilesonal and Private Useverly.jainelibrary.org

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