Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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१४७
॥ ढाल प्रथमनी ॥
॥ हवे राय महोत्सव करे रंग जर, थयो जब परजात ॥ सूर पूजीयो सुत, नयणे निरखी, दरखीयो तव तात ॥ वर धवल मंगल, गीत गातां, गंधर्व गावे रास ॥ बहु दाने माने, सुखीयां कीधां, सयल पूगी आश ॥ २६ ॥ तिहां पंचवरणी, कुसुमवासित, भूमिका संवित्त ॥ वरगर कुंदरु, धूपधूपण, ढांट्यां कुंकुम वित्त ॥ शिर मुकुट मंगल, काने कुंमल, हैये नवसर हार ॥ एम
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