Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 141
________________ १४० ॥१॥ तिहां राय राजे, बहु दि. वाजे, विश्वसेन नरिंद ॥ निज प्रकृति सोमह, तेज तपनह, मार्नु चंद दिणंद ॥ तस पण वखाणी, पट्टराणी, नामे अचिरा नार ॥ सुखसेजे सुतां, चौद पेखे, सुपन सार उदार ॥२॥सबक सिकविमानथी तव, चवीयो उर उप्पन्न ॥ बहु नह नट नन्न कोण सत्तमी, दिवस गुणसंपन्न ॥ तव रोग सोग वियोग विड्डर, मारी इति शमंत॥ वर सयल मंगल, केवि कमला,घर Jain Educationa Interati@essonal and Private Usevenly.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162