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जिनचंद ॥ १० ॥ ढाल ॥ श्री जिनचंदने, सुरपति सवि नवरावता ए ॥ निज निज जन्म सुकृतारथ जावता ए ॥ ११ ॥ चाल ॥ हां रे नावता जन्म प्रमाण, अनिषेक कलश मंडाण ॥ साठ लाख ने एक क्रोम, शत दोय ने पंचास जोन ॥ १२ ॥ श्रव जातिना ते होय, चौसठी सहसा जोय ॥ एपी परे जक्ति उदार, करे पूजा विविध प्रकार || १३ || ढाल ॥ विविध प्रकारना करीय शिणगार ए ॥ जरीय जल
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