Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 142
________________ १४१ घरे विलसंत ॥ ३ ॥ वर चंद योगे, ज्येष्ठ तेरस, वदि दिने थयो जम्म || तव मध्यरयणीए दिशिकुमारी, करे सूई कम्म ॥ तव चलिय श्रासन, सुणीय सवि हरि, घंटनादे मेली ॥ सुरविंद सत्रे, मेरुमळे, रचे मऊन केली ॥४॥ ढाल ॥ विश्वसेन नृप घरे नंदन जनमीया ए ॥ तिहुश्रण जवियण प्रेमशुं प्रणमीया ए ॥ ५ ॥ चाल ॥ हां रे प्रणमीया ते चौसठ इंद्र, लेइ वे मेरु गिरींद ॥ सुरनदी नीर समीर तिहां, क्षीरजलनिधि Jain Educationa InternatiBeasonal and Private Usev@nly.jainelibrary.org

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