Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 131
________________ १३० रमणी सुख पावे हो ॥ प्रा० ॥ उर्गता नारी जेम, लहे कीरयुगल वली तेम हो ॥ प्रा० ॥५॥काव्यं। अमलशांतिरसैकनिधि शुचिं, गुणफलैर्मलदोषहरैर्हरं ॥ परमशुद्धिफलाय यजे जिनं, परहितं रहितं परजावतः ॥१॥ इति सप्तम फलपूजा समाता ॥७॥ ॥अथाष्टम नैवेद्यपूजा प्रारंनः॥ ॥ दोहा॥ नवदव दहन निवारवा, जलद 95 Jain Educationa Interati@ersonal and Private Usev@mw.jainelibrary.org

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